भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन और नियमन एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा रहा है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025, जो हाल ही में संसद में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया, इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम को संशोधित करने और वक्फ प्रशासन को पारदर्शी, समावेशी और आधुनिक बनाने का प्रयास करता है। इस लेख में हम वक्फ की अवधारणा, पुरानी और नई नीतियों की तुलना, इसके फायदे-नुकसान, और समाज पर प्रभाव को विस्तार से समझेंगे।
वक्फ क्या है? मूल से परिचय
‘वक्फ’ इस्लामिक परंपरा का एक अभिन्न अंग है, जिसका अर्थ है किसी संपत्ति को धार्मिक, परोपकारी या सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित करना। यह एक ऐसा दान है, जो मस्जिद, स्कूल, अस्पताल या अन्य सार्वजनिक संस्थानों के लिए किया जाता है। वक्फ की खासियत यह है कि इसे न बेचा जा सकता है, न उपहार में दिया जा सकता है, न विरासत में लिया जा सकता है। एक बार जब कोई व्यक्ति (वक्फ करने वाला) अपनी संपत्ति वक्फ कर देता है, तो वह ‘अल्लाह की संपत्ति’ बन जाती है, जो अनंत काल तक कायम रहती है।
पुरानी समस्याएँ और नया समाधान
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में लंबे समय से कई समस्याएँ रही हैं। 2013 में 10,381 मुकदमे लंबित थे, जो 2025 तक बढ़कर 21,618 हो गए हैं। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 इन मुद्दों को हल करने का दावा करता है। प्रमुख समस्याएँ और समाधान इस प्रकार हैं:
- पारदर्शिता की कमी: पुराने कानून में संपत्तियों का रिकॉर्ड और ऑडिट व्यवस्थित नहीं था। नया विधेयक डिजिटल पोर्टल और ऑडिट को अनिवार्य करता है।
- अतिक्रमण और विवाद: सरकारी जमीनों पर वक्फ का दावा (5973 सरकारी संपत्तियाँ, सितंबर 2024 तक) और लंबे मुकदमों को कम करने के लिए सत्यापन जरूरी किया गया।
- महिलाओं के अधिकार: पुरानी नीति में महिलाओं के उत्तराधिकार को स्पष्ट प्रावधान नहीं थे। अब विधेयक महिलाओं के लिए आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण पर जोर देता है।
- वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्ति: पहले बोर्ड अपनी मर्जी से संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता था। अब यह शक्ति सीमित कर दी गई है।
पुरानी नीति बनाम नई नीति: एक तुलना
पुरानी नीति (1995 अधिनियम, 2013 संशोधन सहित)
- संपत्ति दावा: धारा 40 के तहत वक्फ बोर्ड बिना सबूत के संपत्ति पर दावा कर सकता था।
- प्रतिनिधित्व: केवल मुस्लिम पुरुषों का बोर्ड में वर्चस्व था।
- न्याय व्यवस्था: ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम था, अपील का कोई रास्ता नहीं।
- पारदर्शिता: रिकॉर्ड और ऑडिट की कोई मजबूत व्यवस्था नहीं।
नई नीति (2025 संशोधन विधेयक)
- संपत्ति दावा: धारा 40 हटाई गई। सरकारी संपत्तियाँ वक्फ से बाहर। सत्यापन अनिवार्य।
- प्रतिनिधित्व: बोहरा, आगा खानी, शिया, सुन्नी, पिछड़े मुस्लिम, दो गैर-मुस्लिम और दो महिलाओं की भागीदारी।
- न्याय व्यवस्था: ट्रिब्यूनल से अपील हाई कोर्ट में संभव।
- पारदर्शिता: डिजिटलीकरण और ऑडिट अनिवार्य।
तथ्य जांच: PIB के अनुसार, 25 राज्यों में 5973 सरकारी संपत्तियों पर वक्फ का दावा है। तमिलनाडु, बिहार, केरल, कर्नाटक और यूपी में विवाद सुर्खियों में रहे हैं।
वक्फ विधेयक 2025 के फायदे
1. गरीबों का उत्थान
- डिजिटलीकरण: संपत्तियों का केंद्रीय डेटाबेस मॉनिटरिंग और प्रबंधन को आसान बनाएगा।
- आय में वृद्धि: अतिक्रमण और दुरुपयोग रोककर बोर्ड की आय बढ़ेगी, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास के लिए उपयोग होगी।
- विश्वास: नियमित ऑडिट से जनता का भरोसा मजबूत होगा।
2. महिलाओं का सशक्तिकरण
- आर्थिक स्वतंत्रता: स्वयं सहायता समूह (SHG) और माइक्रोफाइनेंस प्रोग्राम।
- कानूनी सहायता: पारिवारिक विवाद और उत्तराधिकार के लिए केंद्र।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: छात्रवृत्तियाँ, मातृत्व कल्याण और कौशल प्रशिक्षण।
- सामाजिक सुरक्षा: विधवाओं के लिए पेंशन योजना।
3. प्रशासनिक सुधार
- पारदर्शिता: संपत्ति प्रबंधन में सुधार।
- समन्वय: बोर्ड और स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल।
- हितधारकों के अधिकार: सभी की भागीदारी सुनिश्चित।
4. समावेशिता
- बोहरा, आगा खानी, पिछड़े मुस्लिमों और स्थानीय प्रतिनिधियों का समावेश।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति से संतुलन।
उदाहरण: कर्नाटक में 15,000 एकड़ जमीन पर वक्फ दावे के बाद किसानों ने विरोध किया। सरकार ने आश्वासन दिया कि कोई बेदखली नहीं होगी।
नुकसान और आलोचनाएँ
- धार्मिक स्वायत्तता: गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति को कुछ संगठन वक्फ की धार्मिक प्रकृति पर हमला मानते हैं।
- जटिलता: सत्यापन और 5 साल की इस्लाम पालन की शर्त से प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
- राज्य हस्तक्षेप: कलेक्टर की भूमिका बढ़ने से स्वतंत्रता पर सवाल।
- विरोध: मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह विधेयक समुदाय के अधिकारों को कमजोर करता है।
वास्तविक घटनाएँ: जमीन पर प्रभाव
- तमिलनाडु: तिरुचेंथुराई गाँव में एक किसान अपनी जमीन नहीं बेच सका, क्योंकि वक्फ बोर्ड ने पूरे गाँव पर अधिकार जताया।
- बिहार: गोविंदपुर गाँव में सात परिवार प्रभावित। मामला पटना हाई कोर्ट में विचाराधीन।
- केरल: एर्नाकुलम में 600 ईसाई परिवारों ने वक्फ दावे का विरोध किया।
- पंजाब: पटियाला में शिक्षा विभाग की जमीन पर दावा।
PDF संदर्भ: विस्तृत जानकारी के लिए PIB की रिपोर्ट यहाँ क्लिक करें
निष्कर्ष: एक नई दिशा
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 एक पारदर्शी, धर्मनिरपेक्ष और जवाबदेह व्यवस्था की नींव रखता है। यह गरीबों, महिलाओं और पिछड़े वर्गों के उत्थान का वादा करता है, लेकिन धार्मिक स्वायत्तता और व्यावहारिकता के बीच संतुलन बनाना चुनौती है। वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद का रोल धार्मिक नहीं, बल्कि नियामक है। यह विधेयक सुशासन और समावेशिता की दिशा में एक कदम है, लेकिन इसका असली प्रभाव लागू होने के बाद ही दिखेगा।
आप क्या सोचते हैं? अपनी राय आजपत्रिका के साथ साझा करें!