म्यांमार/थाईलैंड, 28 मार्च 2025: आज दोपहर एक ऐसी धरती की हलचल ने म्यांमार और थाईलैंड को दहशत में डुबो दिया, जिसने न सिर्फ जमीन को हिलाया बल्कि लोगों के दिलों को भी कांपने पर मजबूर कर दिया। रिक्टर स्केल पर 7.7 तीव्रता का यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसने म्यांमार के मांडले से लेकर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक तक अपनी तबाही का कहर बरपाया। ऊंची-ऊंची इमारतें पल भर में मलबे के ढेर में तब्दील हो गईं, सड़कें फट गईं और जिंदगियां मलबे में दफन हो गईं। यह प्रकृति का वह प्रकोप था, जिसने इंसानी ताकत को बेबस कर दिया।
मांडले से शुरू हुई तबाही की कहानी
भूकंप का केंद्र म्यांमार के मांडले शहर से करीब 17 किलोमीटर दूर था, जहां दोपहर करीब 12:50 बजे (स्थानीय समय) धरती ने अपना गुस्सा दिखाया। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, यह भूकंप सिर्फ 10 किलोमीटर की गहराई पर था, जिसकी वजह से इसका असर और भी भयावह रहा। मांडले में ऐतिहासिक महल के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए, तो वहीं 90 साल पुराना अवा ब्रिज नदी में समा गया। सड़कों पर दरारें पड़ गईं और लोग दहशत में घरों से बाहर निकल आए। म्यांमार की सेना ने कई इलाकों में आपातकाल घोषित कर दिया है और राहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं।
बैंकॉक में मलबे का मंजर
भूकंप का असर म्यांमार से 1400 किलोमीटर दूर थाईलैंड की चमचमाती राजधानी बैंकॉक तक पहुंचा। यहां एक निर्माणाधीन 30 मंजिला इमारत भरभराकर ढह गई, जिसमें दर्जनों मजदूर मलबे में दब गए। थाईलैंड की आपातकालीन सेवाओं के मुताबिक, अब तक 3 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 81 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। बचाव दल दिन-रात मलबे में जिंदगियां तलाशने में जुटा है। बैंकॉक के गवर्नर ने शहर को आपदा क्षेत्र घोषित कर दिया है। ऊंची इमारतों के पूल से पानी सड़कों पर बहता दिखा, तो कहीं लोग होटल की बालकनियों से चीखते-चिल्लाते नजर आए।
दूसरा झटका और सुनामी का खतरा

पहले भूकंप के 12 मिनट बाद ही 6.4 तीव्रता का एक और झटका आया, जिसने लोगों की उम्मीदों पर और चोट की। विशेषज्ञों ने अंदेशा जताया है कि अंडमान सागर में सुनामी का खतरा मंडरा सकता है। थाईलैंड में तटीय इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है और लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं। यह वही इलाका है, जहां 2004 में सुनामी ने भारी तबाही मचाई थी।
आसपास के देशों में भी दहशत
इस भूकंप के झटके भारत के कोलकाता, मणिपुर, बांग्लादेश के ढाका, वियतनाम के हनोई और चीन के युन्नान प्रांत तक महसूस किए गए। हालांकि, इन इलाकों में अभी तक बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन लोग सतर्क हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप से चिंतित हूं। भारत हर संभव मदद के लिए तैयार है।”
जिंदगी और मौत की जंग
म्यांमार में एक मस्जिद के ढहने से 20 लोगों की मौत की खबर है, तो वहीं बैंकॉक में मलबे से अब तक 7 लोगों को जिंदा निकाला गया है। दोनों देशों में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध के कारण वहां मदद पहुंचाने में मुश्किलें आ रही हैं। थाईलैंड की स्टॉक एक्सचेंज ने कारोबार रोक दिया है और स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं।
प्रकृति का इशारा या इंसानी लापरवाही?
वैज्ञानिकों का कहना है कि म्यांमार का सागाइंग फॉल्ट इस भूकंप का कारण हो सकता है, जो पहले भी कई बड़े भूकंपों का गवाह रहा है। लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या ऊंची इमारतों के निर्माण में लापरवाही ने इस तबाही को और बढ़ा दिया? बैंकॉक में ढही इमारत के मलबे से यह सवाल बार-बार उठ रहा है।
आजपत्रिका की अपील: इस मुश्किल घड़ी में म्यांमार और थाईलैंड के लोगों के लिए प्रार्थना करें। हम लगातार इस घटना की ताजा जानकारी आप तक पहुंचाते रहेंगे। सुरक्षित रहें, सतर्क रहें।