द लल्लनटॉप के इस रिपोर्ट ने योगी आदित्यनाथ के नकली आंसू की पोल खोल दी है! प्रयागराज के संगम नहीं झूसी में भी भगदड़ मची, जहां 8 से 10 लोगों की मौत हुई है! मेला के DM, SP झूठ क्यों बोल रहे हैं! अब क्या सबूत चाहिए?
प्रयागराज का कुम्भ मेला एक ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन है, जो देश और दुनिया भर के लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। हालांकि, इस बार कुम्भ मेला आयोजन के दौरान एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को चौंका दिया। प्रयागराज के संगम क्षेत्र में हुए भगदड़ के अलावा, झूसी में भी भगदड़ मचने की खबरें आईं, जिसमें 8 से 10 लोगों की मौत हो गई। लेकिन जो बात इस घटना को और भी चौंकाने वाली बनाती है, वह है स्थानीय अधिकारियों और उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये पर उठ रहे सवाल।
योगी आदित्यनाथ के नकली आंसू:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुम्भ मेला के दौरान हुई इस दुर्घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया था और मृतकों के परिवारों को सहायता देने की घोषणा की थी। लेकिन, इस घटना के बाद उनका रवैया और प्रतिक्रिया अब सवालों के घेरे में है। द लल्लनटॉप की एक रिपोर्ट ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है, जिसमें यह कहा गया है कि योगी आदित्यनाथ के आंसू शायद एक राजनीति की चाल थे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री के बयान और उनकी असंवेदनशीलता को देखकर ऐसा लग रहा था कि वह घटनाओं को सही ढंग से नहीं समझ पा रहे थे।
झूसी में हुई भगदड़:
इस घटना के बाद झूसी में भी भगदड़ मचने की खबर सामने आई। जहां 8 से 10 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इस भगदड़ में जो लोग घायल हुए, उन्हें उपचार के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन सवाल यह है कि इतने बड़े आयोजन के दौरान सुरक्षा इंतजामों का क्या हाल था? क्या प्रशासन ने किसी प्रकार की सुरक्षा योजना बनाई थी, या फिर यह केवल एक अनदेखी थी, जिसकी वजह से लाखों लोग असुरक्षित महसूस कर रहे थे?
कुम्भ मेला के DM और SP द्वारा झूठ बोलने का आरोप:
इस दुखद घटना के बाद कुम्भ मेला के डीएम (जिलाधिकारी) और एसपी (सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) द्वारा जो बयान दिए गए हैं, उन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि यह भगदड़ सिर्फ एक अफवाह थी और किसी भी प्रकार की मौत की खबर सही नहीं थी। लेकिन, घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने और स्थानीय रिपोर्टों ने इस कथन को सिरे से नकारा। मृतकों के परिवारवालों ने यह आरोप लगाया है कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह भगदड़ मची, और अब अधिकारी झूठ बोलकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
अब क्या सबूत चाहिए?
जब इतने सारे लोगों की जान चली जाती है, और प्रशासन के बयान और घटनाओं के बीच बड़ा अंतर दिखाई देता है, तो यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन और सरकार के पास सही सबूत हैं? यदि घटनास्थल पर सुरक्षा व्यवस्था ठीक होती, तो क्या यह हादसा रोका जा सकता था? क्या प्रशासन को पहले से इस तरह की दुर्घटनाओं के लिए तैयारी नहीं करनी चाहिए थी?
सुरक्षा और जवाबदेही की आवश्यकता:
यह घटना हमें यह सिखाती है कि हर बड़े आयोजन के दौरान सुरक्षा की व्यवस्था को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। जब लाखों लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं, तो छोटे से भी लापरवाही से बहुत बड़ा हादसा हो सकता है। प्रशासन और सरकार को इस घटना से सीख लेकर भविष्य में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि फिर से किसी की जान न जाए।
यह भी ज़रूरी है कि अधिकारियों को अपनी जवाबदेही का एहसास हो और उन्हें अपने बयान और कार्यों में ईमानदारी से काम करना चाहिए। किसी भी घटना की सच्चाई को छुपाने की बजाय, उसे स्वीकार करना और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना चाहिए।
प्रयागराज के कुम्भ मेला में हुई इस दर्दनाक घटना ने प्रशासन और सरकार की जवाबदेही को सवालों के घेरे में डाल दिया है। योगी आदित्यनाथ के कथित “नकली आंसू” और कुम्भ मेला के अधिकारियों द्वारा झूठ बोलने की वजह से लोग प्रशासन के प्रति और भी शक करने लगे हैं। अब यह देखना होगा कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार इस घटना की पूरी जांच कराती है और क्या मृतकों के परिवारों को न्याय मिलता है।