बिहार सरकार ने बजट की कमी के कारण एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत 31 मार्च के बाद राज्य में मध्याह्न भोजन योजना (MDM) के तहत काम करने वाले लगभग 600 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी। यह कर्मचारी विभिन्न जिलों में आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से कार्यरत थे और अब इन्हें स्थायी रूप से कार्यमुक्त करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार का फैसला और कारण
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 31 मार्च 2025 के बाद इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी। सरकार का कहना है कि बजट की भारी कमी के चलते यह फैसला लिया गया है।
जिला अधिकारियों पर जिम्मेदारी
राज्य सरकार के निर्देशानुसार, यदि 31 मार्च के बाद कोई कर्मचारी कार्यरत रहता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) की होगी। यह निर्देश सभी जिलों को भेज दिया गया है और अधिकारियों को इस फैसले का सख्ती से पालन करने को कहा गया है।
कर्मचारियों पर असर
इस फैसले का सीधा असर उन 600 कर्मियों पर पड़ेगा, जो वर्षों से मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत कार्यरत थे। इनमें से कई कर्मचारियों का भविष्य अब अनिश्चितता के घेरे में आ गया है।
मध्याह्न भोजन योजना और इसका महत्त्व
मध्याह्न भोजन योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पोषक भोजन प्रदान करना है। बिहार में लाखों छात्र इस योजना से लाभान्वित होते हैं। इस योजना को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, लेकिन सरकार के इस नए फैसले से योजना पर असर पड़ सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
नीतीश सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष ने आलोचना शुरू कर दी है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह फैसला हजारों परिवारों को आर्थिक संकट में डाल सकता है। वहीं, सरकार का तर्क है कि मौजूदा बजटीय स्थिति को देखते हुए यह फैसला लेना आवश्यक हो गया था।
आगे की संभावनाएं
फिलहाल, सरकार इस समस्या का कोई वैकल्पिक समाधान निकालने के संकेत नहीं दे रही है। हालांकि, कर्मचारियों की ओर से सरकार से पुनर्विचार की मांग की जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है।
निष्कर्ष
बिहार सरकार का यह फैसला न केवल प्रभावित कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि यह मध्याह्न भोजन योजना के संचालन पर भी असर डाल सकता है। इस निर्णय से प्रभावित कर्मचारी सरकार से किसी समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि सरकार अपने वित्तीय सीमाओं को देखते हुए ही आगे की रणनीति तय करेगी।