भारत में शिक्षा की स्थिति पर नजर रखने वाली ASER (Annual Status of Education Report) 2024 की ताजा रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 76 फीसदी बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल मुख्य रूप से पढ़ाई के लिए नहीं, बल्कि सोशल मीडिया और मनोरंजन के लिए कर रहे हैं। यह आंकड़ा शिक्षा और डिजिटल युग में स्मार्टफोन के बढ़ते प्रभाव को लेकर गंभीर चिंताओं को जन्म देता है।
स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग से बदलती प्राथमिकताएं
कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा के चलते कई बच्चों को स्मार्टफोन उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन अब स्थिति यह है कि बच्चे इसका इस्तेमाल शिक्षा की बजाय सोशल मीडिया, गेमिंग और मनोरंजन के लिए अधिक कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 में से केवल 3 बच्चे ही स्मार्टफोन का उपयोग पढ़ाई के लिए कर रहे हैं, जबकि बाकी 7 बच्चे इसे अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
लड़कियों और लड़कों के बीच स्मार्टफोन उपयोग में अंतर
ASER रिपोर्ट में लड़कों और लड़कियों के स्मार्टफोन उपयोग के पैटर्न में भी बड़ा अंतर देखने को मिला है।
- लड़कियों की तुलना में लड़कों के पास अधिक स्मार्टफोन हैं।
- 36.2% लड़कों ने बताया कि उनके पास खुद का स्मार्टफोन है।
- 26.9% लड़कियों के पास ही अपना स्मार्टफोन है।
- यह अंतर दर्शाता है कि लड़कियों को अब भी तकनीक तक सीमित पहुंच प्राप्त है।
सेफ्टी फीचर्स को लेकर लड़कियां लड़कों से पीछे
रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन के सुरक्षा फीचर्स की जानकारी में भी लड़कियां लड़कों से पीछे हैं।
- लड़कियों की तुलना में लड़कों को डिजिटल सेफ्टी फीचर्स के बारे में अधिक जानकारी है।
- लड़कों को प्राइवेसी सेटिंग्स, पासवर्ड प्रोटेक्शन और साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी अधिक समझ होती है।
- डिजिटल शिक्षा और इंटरनेट सुरक्षा को लेकर लड़कियों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे भी ऑनलाइन स्पेस में सुरक्षित रह सकें।
बच्चों की डिजिटल आदतें: पढ़ाई से ज्यादा मनोरंजन
ASER रिपोर्ट बताती है कि आज के बच्चे स्मार्टफोन का उपयोग अधिकतर मनोरंजन और सोशल मीडिया के लिए कर रहे हैं।
- 70% से अधिक बच्चे वीडियो देखने, गेम खेलने और सोशल मीडिया ऐप्स का उपयोग करने में लगे रहते हैं।
- सिर्फ 30% बच्चे ही पढ़ाई या ऑनलाइन क्लासेज के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं।
समाधान और सुझाव
विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में डिजिटल जागरूकता बढ़ाने और उनके स्मार्टफोन उपयोग पर निगरानी रखने की जरूरत है।
✔️ पैरेंटल कंट्रोल फीचर्स का उपयोग करें ताकि बच्चे सीमित समय तक ही स्मार्टफोन का उपयोग कर सकें।
✔️ डिजिटल सेफ्टी ट्रेनिंग लड़कियों को भी दी जानी चाहिए ताकि वे ऑनलाइन खतरों से बच सकें।
✔️ शिक्षा को अधिक इंटरैक्टिव और डिजिटल बनाकर बच्चों का ध्यान पढ़ाई की ओर आकर्षित किया जा सकता है।
✔️ स्कूलों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना जरूरी है ताकि बच्चे इंटरनेट का सुरक्षित और सही उपयोग सीख सकें।
निष्कर्ष
ASER 2024 रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि स्मार्टफोन अब केवल पढ़ाई का जरिया नहीं रहा, बल्कि मनोरंजन और सोशल मीडिया का बड़ा माध्यम बन गया है। बच्चों में स्मार्टफोन के सही उपयोग की जागरूकता जरूरी है ताकि वे इसे सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सीखने और अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए भी उपयोग कर सकें। सरकार, अभिभावकों और शिक्षण संस्थानों को इस दिशा में मिलकर काम करने की जरूरत है।