कोहिनूर हीरा, दुनिया के सबसे प्रसिद्ध रत्नों में से एक है, जिसकी कहानी कई सदियों पुरानी है। इस हीरे की चमक और महत्व ने इसे न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध बना दिया। कोहिनूर का इतिहास केवल एक रत्न की कहानी नहीं है, बल्कि यह शक्ति, संघर्ष, और साम्राज्यवादी राजनीति का प्रतीक बन चुका है। यह हीरा भारत के प्रसिद्ध कोल्लुर खदान से निकाला गया था, और उसकी यात्रा ने इसे एक ऐतिहासिक धरोहर बना दिया।
इस लेख में हम कोहिनूर हीरे की यात्रा को विस्तार से जानेंगे – इसके भारत में खनन से लेकर ब्रिटिश साम्राज्य तक की यात्रा, और इसके बाद भारत, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा की गई वापसी की मांग तक की पूरी कहानी।
1. कोहिनूर हीरे का खनन और भारत में पहला अध्याय
कोहिनूर हीरे का खनन भारत के तेलंगाना राज्य के गो⟩लोंकोंडा क्षेत्र में स्थित कोल्लुर खदान से हुआ था। यह खदान प्राचीन समय से ही रत्नों के लिए प्रसिद्ध थी और यहां से कई बड़ी और प्रसिद्ध जड़ी-बूटियाँ तथा रत्न निकाले गए थे। कोहिनूर हीरा इस खदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था और इसे दुनिया के सबसे बड़े ज्ञात हीरे के रूप में माना जाता था।
कोहिनूर शब्द का अर्थ है “पर्वत की रोशनी” और यह नाम इसके अद्वितीय सौंदर्य और शक्तिशाली प्रतीक के कारण दिया गया। शुरुआती दौर में यह रत्न भारतीय साम्राज्यों द्वारा संरक्षित किया गया और विभिन्न शासकों द्वारा इसे अपने साम्राज्य की धरोहर माना जाता था।
2. कोहिनूर का इतिहास और विभिन्न साम्राज्यों में यात्रा
कोहिनूर का इतिहास बहुत ही जटिल और उतार-चढ़ाव भरा है। इसे विभिन्न साम्राज्य और शासकों द्वारा अपने अधीन किया गया, जिनमें काकतीय साम्राज्य, मुगल साम्राज्य, फारसी शासक, अफगान शासक, और सिख साम्राज्य शामिल हैं। इस हीरे ने प्रत्येक साम्राज्य में एक अलग भूमिका निभाई और शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा गया।
2.1. मुगल साम्राज्य का हिस्सा
कोहिनूर हीरा मुगलों के साम्राज्य का हिस्सा भी रहा। शाहजहाँ के समय में यह हीरा भारतीय दरबार में एक प्रमुख रत्न बन गया था, और इसे दरबार में आदर और सम्मान के साथ रखा गया। मुगलों ने इसे अपने सम्राटों के ताज का हिस्सा बनाने का विचार किया था, लेकिन यह कभी संभव नहीं हो सका।
2.2. नदी शाह का आक्रमण
1739 में नदी शाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया और कोहिनूर को अपने साथ ले लिया। इस दौरान कोहिनूर फारसी साम्राज्य का हिस्सा बन गया। नदी शाह ने इसे अपनी शक्ति का प्रतीक माना और इसे “कोहिनूर” नाम दिया, जिसका अर्थ “पर्वत की रोशनी” है।
2.3. अफगान और सिख साम्राज्य
इसके बाद कोहिनूर हीरा अफगान साम्राज्य के शाह शुजा के पास गया और फिर सिख साम्राज्य के रंजीत सिंह के पास भी इसका काफ़ी महत्व था। रंजीत सिंह के साम्राज्य में कोहिनूर को पंजाब के खजाने का हिस्सा बनाया गया।
3. ब्रिटिश साम्राज्य में कोहिनूर का प्रवेश
1849 में ब्रिटिश साम्राज्य ने सिख साम्राज्य को पराजित किया और कोहिनूर को औपचारिक रूप से ब्रिटिश खजाने में शामिल कर लिया। यह हीरा लाहौर संधि (Treaty of Lahore) के बाद लंदन पहुंचा और क्वींस विक्टोरिया के ताज में जोड़ा गया। इसके बाद यह हीरा ब्रिटिश क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा बन गया और टावर ऑफ लंदन में रखा गया। ब्रिटिश साम्राज्य ने इस रत्न को एक पुरस्कार के रूप में स्वीकार किया और इसे अपनी शक्ति का प्रतीक बना लिया।
4. कोहिनूर का विवाद: कौन करेगा इसे वापस?
कोहिनूर के लंदन में होने के बाद से इसके वापस आने की मांग लगातार की जा रही है। भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान, इन सभी देशों ने कोहिनूर के भारत लौटने की मांग की है। भारत का कहना है कि यह रत्न अवैध रूप से ब्रिटिश साम्राज्य के पास पहुंचा था और इसे वापस लाना एक ऐतिहासिक अधिकार होगा।
4.1. भारत की दावेदारी
भारत सरकार ने कई बार ब्रिटेन से कोहिनूर को वापस करने की मांग की है। भारतीय सरकार का कहना है कि यह हीरा भारत की सांस्कृतिक धरोहर है और इसे साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा छीना गया था। भारतीय जनता में भी इस हीरे की वापसी को लेकर गहरी भावना है, क्योंकि यह भारत के इतिहास और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
4.2. ब्रिटेन का दृष्टिकोण
ब्रिटेन का कहना है कि कोहिनूर को औपचारिक रूप से कानून और समझौतों के तहत लिया गया था, और इसलिए इसे वापस नहीं किया जा सकता। वे इसे एक क़ानूनी संपत्ति के रूप में देखते हैं और यह ब्रिटिश संग्रह का हिस्सा है।
5. कोहिनूर का वर्तमान: क्या होगा भविष्य?
कोहिनूर आज भी टावर ऑफ लंदन में रखा हुआ है और यह विश्वभर में सबसे चर्चित रत्नों में से एक है। हालांकि, इसके वर्तमान स्थान और इसके ऐतिहासिक महत्व पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं, और इसके भविष्य में कई संस्कृतिक वापसी विवाद हो सकते हैं। हालांकि, इस हीरे की कहानी ने एक संवैधानिक और ऐतिहासिक न्याय की मांग को जन्म दिया है, जिसे भारत, पाकिस्तान, ईरान, और अफगानिस्तान जैसे देशों द्वारा उठाया गया है।
निष्कर्ष
कोहिनूर हीरा न केवल एक सुंदर रत्न है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक प्रतीक है, जो शक्तिशाली साम्राज्य और युद्धों के साथ जुड़ा हुआ है। इसका इतिहास केवल भारत का नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया का धरोहर है। इसके साथ जुड़ी विवादों और संघर्षों की वजह से कोहिनूर ने विश्वभर में एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व प्राप्त किया है। चाहे इसे वापस लाने की मांग हो या इसके ऐतिहासिक महत्व को समझने की कोशिश, कोहिनूर हीरा हमेशा दुनिया की नजरों में रहेगा।