अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। ताजा जानकारी के अनुसार, मंदिर का 96% निर्माण पूरा हो चुका है और उम्मीद जताई जा रही है कि जून 2025 तक यह भव्य मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा। इस ऐतिहासिक परियोजना पर अब तक 2150 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है, जो पूरी तरह से समाज के सहयोग और श्रद्धालुओं के दान से जुटाई गई है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि इस कार्य के लिए सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं ली गई है।
ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने हाल ही में हुई बैठक में विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में ट्रस्ट ने विभिन्न करों और शुल्कों के रूप में सरकार को 396 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इसमें 272 करोड़ रुपये जीएसटी, 39 करोड़ रुपये टीडीएस, 14 करोड़ रुपये लेबर सेस, 7.4 करोड़ रुपये ईएसआई, 4 करोड़ रुपये बीमा, 5 करोड़ रुपये अयोध्या विकास प्राधिकरण को नक्शा शुल्क, 29 करोड़ रुपये जमीन खरीद पर स्टांप ड्यूटी, 10 करोड़ रुपये बिजली बिल और 14.9 करोड़ रुपये रॉयल्टी के रूप में शामिल हैं, जो विभिन्न राज्यों को दिए गए हैं। यह पारदर्शिता ट्रस्ट के कार्यों में जनता के भरोसे को और मजबूत करती है।
निर्माण कार्य और खर्च का ब्योरा
मंदिर निर्माण के लिए अब तक कुल 2150 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसमें से यूपी राजकीय निर्माण निगम को 200 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जिसके तहत रामकथा संग्रहालय, विश्रामगृह और 70 एकड़ के परिसर में तीन भव्य प्रवेश द्वारों का निर्माण किया जा रहा है। ट्रस्ट ने तकनीक का भी सहारा लिया है और एक ERP (एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) सिस्टम विकसित किया है, जिसके जरिए सभी खर्चों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पारदर्शी तरीके से दर्ज किया जा रहा है। यह कदम न केवल जवाबदेही सुनिश्चित करता है, बल्कि भक्तों के विश्वास को भी बढ़ाता है।
राम नवमी पर सूर्य तिलक की तैयारी
आगामी राम नवमी के दिन एक विशेष आयोजन की तैयारी है। दोपहर 12:04 बजे रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी, जिसे ‘सूर्य तिलक’ के नाम से जाना जाएगा। इस अलौकिक दृश्य को अयोध्या में 50 अलग-अलग स्थानों पर लगी विशाल स्क्रीनों के जरिए श्रद्धालु देख सकेंगे। इस अवसर को और भव्य बनाने के लिए वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस का नवाह्न पारायण आयोजित किया जाएगा। साथ ही, दुर्गा पूजन और यज्ञ में एक लाख मंत्रों की आहुति दी जाएगी, जो इस पल को और भी पवित्र बनाएगा।
मंदिर निर्माण की प्रगति
मंदिर का मुख्य ढांचा 96% पूरा हो चुका है, वहीं सप्त मंदिरों का निर्माण भी 96% तक संपन्न हो गया है। परकोटा यानी मंदिर परिसर की चारदीवारी का काम 60% पूरा हो चुका है। शबरी, निषाद और ऋषियों के मंदिर मई 2025 तक बनकर तैयार हो जाएंगे, जबकि शेषावतार मंदिर का निर्माण अगस्त 2025 तक पूरा होने की संभावना है। इस दौरान कारीगरों और श्रमिकों की मेहनत के साथ-साथ भक्तों का योगदान भी उल्लेखनीय रहा है।
श्रद्धालुओं का दान और भेंट
श्रद्धालुओं ने मंदिर के लिए दिल खोलकर दान दिया है। अब तक 944 किलोग्राम चांदी भेंट की जा चुकी है, जिसकी शुद्धता 92% पाई गई है। इस चांदी को 20-20 किलो की ईंटों में ढाला गया है, जो मंदिर के निर्माण में उपयोग की जाएगी। इसके अलावा, भगवान राम के गहने, मुकुट, पूजा सामग्री और भोग से संबंधित सभी जानकारी ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर नियमित रूप से अपडेट की जाएगी, ताकि भक्तों को हर छोटी-बड़ी जानकारी आसानी से मिल सके।
एक ऐतिहासिक कदम
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक ऐतिहासिक कदम है। यह मंदिर सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था और एकता का प्रतीक है। जून 2025 तक इसके पूर्ण होने की उम्मीद के साथ ही अयोध्या एक बार फिर वैश्विक पटल पर अपनी पहचान को और मजबूत करेगी।