पिछले वर्ष अप्रैल 2024 में, सिटीग्रुप बैंक ने एक असाधारण त्रुटि की, जब उसने एक ग्राहक के खाते में गलती से 81 ट्रिलियन डॉलर जमा कर दिए, जबकि वास्तविक राशि केवल 280 डॉलर होनी चाहिए थी। यह त्रुटि बैंकिंग इतिहास में सबसे बड़ी मानी जा सकती है, क्योंकि 81 ट्रिलियन डॉलर की राशि विश्व की कुल अर्थव्यवस्था से भी अधिक है।
त्रुटि का विवरण:
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सिटीग्रुप के एक कर्मचारी ने गलती से इतनी बड़ी राशि दर्ज की, जिसे दूसरे कर्मचारी, जो लेन-देन की जांच के लिए था, ने भी नहीं पकड़ा। तीसरे कर्मचारी ने बैंक के खाते में गड़बड़ी देखी और भुगतान को पोस्ट होने के 90 मिनट बाद पकड़ा। कुछ घंटों बाद भुगतान को वापस कर दिया गया।
भारतीय संदर्भ में राशि:
अप्रैल 2024 में डॉलर की कीमत लगभग 83 रुपये प्रति डॉलर थी। यदि 81 ट्रिलियन डॉलर की इस गलत ट्रांजेक्शन को रुपये में परिवर्तित किया जाए, तो यह लगभग 6,723,000,000,000,000 रुपये के बराबर होती है। यह राशि इतनी विशाल है कि इसे समझना भी कठिन है।
बैंक की प्रतिक्रिया:
सिटीग्रुप ने फेडरल रिजर्व और ऑफिस ऑफ द कंप्ट्रोलर ऑफ द करेंसी को इस “बड़ी चूक” के बारे में सूचित किया। बैंक ने कहा कि उनके “डिटेक्टिव कंट्रोल” ने तुरंत गलती को पकड़ लिया और उन्होंने लेन-देन को वापस कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पैसे बैंक से बाहर जाते, तो उनके सिस्टम ने उसे भी रोक दिया होता। बैंक ने कहा, “हालांकि बैंक या हमारे ग्राहक पर कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन यह घटना हमें मैन्युअल प्रक्रियाओं को खत्म करने और नियंत्रण को ऑटोमैटिक करने के प्रयासों को जारी रखने की याद दिलाती है।”
पिछली घटनाएँ:
यह पहली बार नहीं है जब सिटीग्रुप ने ऐसी बड़ी त्रुटि की है। पिछले वर्ष भी सिटीग्रुप में 1 बिलियन डॉलर या उससे अधिक की 10 “बड़ी चूक” हुई थीं। यह घटनाएँ तब होती हैं जब बैंक गलत राशि भेजता है, लेकिन बाद में पैसे वापस पाने में सक्षम होता है। पिछले वर्ष की तुलना में यह संख्या थोड़ी कम थी, जो 13 थी।
सिटीबैंक की अन्य प्रमुख त्रुटियाँ:
सिटीबैंक की एक और प्रमुख त्रुटि 2021 में हुई थी, जब बैंक ने गलती से 900 मिलियन डॉलर (लगभग 66 अरब रुपये) रेवलॉन के कर्जदाताओं को भेज दिए थे, जबकि उसे केवल 7.8 मिलियन डॉलर के ब्याज का भुगतान करना था। इस गलती के पीछे विप्रो के दो कर्मचारियों की भूमिका थी, जिन्होंने सिटीबैंक की सिक्स-आई (Six eye) प्रॉसीजर के तहत इस लेन-देन की समीक्षा और अनुमोदन किया था। बाद में, कुछ कर्जदाताओं ने राशि वापस करने से इनकार कर दिया, और मामला अदालत में पहुंचा। अदालत ने फैसला सुनाया कि कर्जदाताओं को राशि वापस करने की आवश्यकता नहीं है, जिससे सिटीबैंक को भारी नुकसान हुआ।
अन्य बैंकों की त्रुटियाँ:
सिटीबैंक के अलावा, अन्य बैंकों में भी ऐसी त्रुटियाँ देखी गई हैं। उदाहरण के लिए, नवंबर 2023 में, यूको बैंक ने तकनीकी गड़बड़ी के कारण ग्राहकों के खातों में गलती से 820 करोड़ रुपये जमा कर दिए थे। बैंक ने इस मामले में सीबीआई की मदद ली और अधिकांश राशि वापस प्राप्त की। इसी प्रकार, अक्टूबर 2023 में, तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक ने चेन्नई में एक कैब ड्राइवर के खाते में गलती से 9,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए थे, जिससे बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ को पद छोड़ना पड़ा।
नियामक कार्रवाई:
बैंकों की ऐसी त्रुटियों के कारण, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सिटीबैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन ओवरसीज बैंक पर कुल 10.34 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। सिटीबैंक पर जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना से संबंधित मानदंडों और वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर आचार संहिता का पालन नहीं करने के लिए 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
बैंकों में इस प्रकार की त्रुटियाँ गंभीर चिंता का विषय हैं, क्योंकि वे न केवल वित्तीय नुकसान का कारण बनती हैं, बल्कि ग्राहकों के विश्वास को भी प्रभावित करती हैं। इसलिए, बैंकों को अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं और नियंत्रणों को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि ऐसी त्रुटियों को रोका जा सके और ग्राहकों के हितों की रक्षा की जा सके।