हाल ही में भारत के विभिन्न हिस्सों और पड़ोसी देश नेपाल में बार-बार आ रहे भूकंपों ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। उत्तर भारत के कई राज्यों, जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार, और असम में लगातार झटके महसूस किए गए हैं। वैज्ञानिकों और भूवैज्ञानिकों के अनुसार, इन भूकंपों के पीछे कई भौगोलिक और प्राकृतिक कारण हैं।
इस लेख में हम यह समझेंगे कि आखिर भारत में इतनी बार भूकंप क्यों आ रहे हैं, इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या है, और इससे बचाव के लिए हमें क्या कदम उठाने चाहिए।
भारत में भूकंप आने के प्रमुख कारण
1. भारत का टेक्टोनिक प्लेट्स पर स्थित होना
भारत भौगोलिक दृष्टि से एक सक्रिय टेक्टोनिक ज़ोन में स्थित है। यह क्षेत्र इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराव क्षेत्र में आता है। इस टकराव की वजह से भारतीय उपमहाद्वीप औसतन 2 सेंटीमीटर प्रति वर्ष उत्तर की ओर बढ़ रहा है, जिससे हिमालय पर्वत का उत्थान हो रहा है। यही गति भूकंप के प्रमुख कारणों में से एक है।
2. हिमालय क्षेत्र में तनाव और दबाव का बढ़ना
हिमालय पर्वत श्रृंखला के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार एक-दूसरे से टकरा रही हैं। इससे वहां भूगर्भीय तनाव उत्पन्न होता है। जब यह तनाव एक सीमा से अधिक हो जाता है, तो प्लेट्स अचानक खिसकती हैं और भूकंप आ जाता है। इसीलिए उत्तर भारत और नेपाल में बार-बार भूकंप आने की संभावना अधिक होती है।
3. पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले बदलाव भी भूकंपों के पीछे एक कारण हो सकते हैं। चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव आने से पृथ्वी की अंदरूनी परतों पर असर पड़ता है, जिससे टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचल बढ़ सकती है।
4. मानवीय गतिविधियों का प्रभाव
औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण भी भूकंपों की तीव्रता बढ़ सकती है। जैसे:
- खनन (Mining) – गहरे खनन कार्य से पृथ्वी की परतों में अस्थिरता आ सकती है।
- डैम और जलाशय (Dams and Reservoirs) – बड़े बांधों में जमा होने वाले भारी पानी का दबाव पृथ्वी की सतह पर तनाव बढ़ा सकता है।
- तेल और गैस ड्रिलिंग (Oil & Gas Drilling) – धरती के भीतर की परतों को छेड़ने से हलचल उत्पन्न हो सकती है।
भारत में भूकंप प्रभावित क्षेत्र
भारत को पांच भूकंपीय क्षेत्रों (Seismic Zones) में बांटा गया है। इनमें से ज़ोन 4 और ज़ोन 5 सबसे अधिक भूकंप प्रवण (Earthquake-prone) हैं।
1. जोन 5 (Zone 5 – सबसे अधिक खतरा)
यह क्षेत्र सबसे अधिक संवेदनशील है और यहाँ विनाशकारी भूकंप आने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। इसमें शामिल राज्य हैं:
- उत्तराखंड
- हिमाचल प्रदेश
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- मेघालय
- मणिपुर
- नागालैंड
- मिज़ोरम
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
2. जोन 4 (Zone 4 – उच्च खतरा)
इस जोन में भी भूकंप की संभावना अधिक होती है, लेकिन ज़ोन 5 की तुलना में कम। इसमें शामिल क्षेत्र हैं:
- दिल्ली और इसके आसपास के इलाके
- बिहार
- पश्चिम बंगाल का उत्तरी भाग
- हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्से
- उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाके
3. जोन 3, 2 और 1 (मध्यम और कम खतरा)
इन क्षेत्रों में भूकंप की संभावना कम होती है, लेकिन फिर भी यहां हल्के झटके महसूस किए जा सकते हैं।
भारत में हाल ही में आए प्रमुख भूकंप
तारीखस्थानतीव्रता (रिक्टर स्केल पर)प्रभाव 3 जनवरी 2024 नेपाल 6.2 हल्के झटके, कोई बड़ा नुकसान नहीं 14 नवंबर 2023 उत्तराखंड 5.6 कुछ इमारतों में दरारें आईं 20 जुलाई 2023 अरुणाचल प्रदेश 5.2 कोई नुकसान नहीं 1 मई 2023 दिल्ली-एनसीआर 4.7 लोगों में दहशत, नुकसान नहीं
भूकंप से बचाव के उपाय
1. भूकंप के दौरान क्या करें?
- फर्श पर बैठें और किसी मजबूत चीज़ के नीचे छिप जाएं (जैसे टेबल या बेड)।
- दीवारों और खिड़कियों से दूर रहें, क्योंकि ये गिर सकते हैं।
- लिफ्ट का उपयोग न करें, सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
- यदि आप खुले मैदान में हैं, तो पेड़ों, बिजली के खंभों और इमारतों से दूर रहें।
2. भूकंप से पहले तैयारी कैसे करें?
- अपने घर को भूकंप-रोधी बनाएं।
- घर में फर्नीचर और भारी चीज़ों को दीवार से कसकर लगाएं।
- आपातकालीन किट तैयार रखें, जिसमें पानी, खाना, टॉर्च, दवाईयाँ और प्राथमिक चिकित्सा सामान हो।
- परिवार के सदस्यों को भूकंप के दौरान क्या करना चाहिए, इसकी ट्रेनिंग दें।
3. भूकंप के बाद क्या करें?
- मलबे में फंसे लोगों की मदद करें।
- सरकारी निर्देशों का पालन करें और अफवाहों पर ध्यान न दें।
- पानी और गैस की लाइनों की जाँच करें, अगर रिसाव हो तो तुरंत अधिकारियों को सूचित करें।
भारत में बार-बार भूकंप आना भूवैज्ञानिक कारणों से जुड़ा है। टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल, हिमालय का उत्थान और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव इसके प्रमुख कारण हैं। हालांकि, मानवीय गतिविधियाँ भी इस समस्या को बढ़ा सकती हैं। इसलिए, हमें भूकंप के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है और सुरक्षित जीवन के लिए उचित तैयारी करनी चाहिए।
भूकंप के बारे में जागरूक रहें, सतर्क रहें और सुरक्षित रहें!