तिब्बत में मंगलवार को आए भूकंप के एक के बाद एक झटकों ने तबाही मचा दी है। भूकंप की तीव्रता और असर इतना भयावह था कि सैकड़ों इमारतें धराशायी हो गईं। इस आपदा में अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 150 से अधिक लोग घायल हैं। तिब्बत के अलावा, भूकंप के झटके भारत के हिमालयी क्षेत्रों में भी महसूस किए गए। भारतीय राज्य उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में लोगों ने हल्की तीव्रता के झटके महसूस किए।
तिब्बत में भूकंप का केंद्र और तीव्रता
चीन के भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, भूकंप का केंद्र तिब्बत के नगचू क्षेत्र में था। पहला झटका 6.7 तीव्रता का था, जिसके बाद 5.9 और 5.3 तीव्रता के दो और झटके महसूस किए गए। झटकों के कारण नगचू और शिगात्से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
भारत पर भूकंप का असर
भूकंप के झटके भारत के उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए। हालांकि, भारतीय इलाकों में किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। भूकंप के दौरान दहशत में आकर लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। भूकंप के झटके आने के बाद भारतीय भूकंप विज्ञान विभाग ने भी अलर्ट जारी किया और कहा कि तिब्बत का इलाका भूकंप-प्रवण है, जिससे यहां आफ्टरशॉक्स की संभावना बनी हुई है।
तिब्बत में तबाही का मंजर
तिब्बत में भूकंप के कारण इमारतें पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गई हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि झटके इतने तेज़ थे कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने का मौका भी नहीं पा सके। स्कूल, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक इमारतें नष्ट हो गईं।
भारत ने दी सहायता की पेशकश
तिब्बत में हुई तबाही को देखते हुए भारत ने सहायता की पेशकश की है। भारत सरकार ने चीन के अधिकारियों से संपर्क कर कहा है कि राहत और बचाव कार्य में मदद के लिए भारतीय आपदा प्रबंधन टीम को भेजा जा सकता है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भूकंप की स्थिति पर कड़ी नजर रखने और सीमावर्ती इलाकों में सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
भारतीय सेना भी सतर्क
तिब्बत से सटे भारतीय इलाकों में भारतीय सेना को सतर्क कर दिया गया है। लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना ने अपने सभी बेस कैंप्स को अलर्ट पर रखा है। इसके साथ ही राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता के लिए तैयारियां की जा रही हैं।
चुनौतियां और आगे की राह
तिब्बत की भौगोलिक स्थिति और खराब मौसम राहत कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। तिब्बत में मलबे के नीचे अभी भी कई लोगों के दबे होने की आशंका है। भारतीय भूकंप विज्ञान विशेषज्ञों का मानना है कि हिमालयी क्षेत्र में सक्रिय टेक्टोनिक प्लेटों के कारण आने वाले दिनों में और अधिक आफ्टरशॉक्स का खतरा बना हुआ है।
निष्कर्ष
तिब्बत में आए इस भूकंप ने न केवल चीन बल्कि भारत सहित पड़ोसी देशों को भी सतर्क कर दिया है। इस प्राकृतिक आपदा ने दिखाया है कि हिमालयी क्षेत्र में आपदा प्रबंधन की तैयारियां कितनी महत्वपूर्ण हैं। भारत और चीन दोनों को मिलकर इस क्षेत्र में भूकंप जैसी आपदाओं के लिए एक समन्वित रणनीति तैयार करनी चाहिए, ताकि भविष्य में नुकसान को कम किया जा सके।