नितीश के कोच की नजर में: “हर कोई अपनी कहानी का हीरो बनना चाहता है, लेकिन नितीश की कहानी के असली हीरो मुत्याला हैं।” पढ़िए पिता-पुत्र की वह प्रेरणादायक यात्रा, जिसने नितीश कुमार रेड्डी को यह मुकाम दिलाया।
नितीश कुमार रेड्डी का क्रिकेट सफर उनके और उनके पिता मुत्याला रेड्डी के अटूट समर्पण और बलिदान की प्रेरक कहानी है। आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में 26 मई 2003 को जन्मे नितीश ने मात्र पांच वर्ष की आयु में क्रिकेट खेलना शुरू किया। अपने पिता के साथ हिंदुस्तान जिंक ग्राउंड में वरिष्ठ खिलाड़ियों को खेलते देख, उनका क्रिकेट के प्रति रुझान बढ़ा।
नितीश के पिता, मुत्याला रेड्डी, हिंदुस्तान जिंक में कार्यरत थे। 2012 में कंपनी ने विशाखापत्तनम में अपने संचालन को बंद कर दिया और उन्हें उदयपुर स्थानांतरित होने का प्रस्ताव दिया। हालांकि, अपने बेटे के क्रिकेट करियर को प्राथमिकता देते हुए, उन्होंने स्थानांतरण स्वीकार नहीं किया और 25 वर्ष की सेवा शेष रहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। उन्होंने अपना पूरा समय नितीश के प्रशिक्षण और विकास में समर्पित कर दिया, जबकि उनकी पत्नी मनसा ने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों को संभाला।
नितीश की प्रतिभा को उनके शुरुआती कोच गांधी ने पहचाना, जिन्होंने उन्हें छह वर्ष की आयु में प्रशिक्षण देना शुरू किया। बाद में, पूर्व भारतीय क्रिकेटर और चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने उन्हें अंडर-12 और अंडर-14 मैचों के दौरान देखा और आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन (ACA) अकादमी में प्रशिक्षण के लिए चुना। 2017-18 विजय मर्चेंट ट्रॉफी में, नितीश ने नागालैंड के खिलाफ 345 गेंदों में 441 रन बनाए और पूरे टूर्नामेंट में 176.41 की औसत से 1237 रन और 26 विकेट हासिल किए। इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें बीसीसीआई के ‘सर्वश्रेष्ठ अंडर-16 क्रिकेटर’ जगमोहन डालमिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन के किसी खिलाड़ी के लिए पहली बार था।
नितीश के पिता का विश्वास और समर्पण उनके बेटे की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने बेटे के प्रशिक्षण, यात्रा और अन्य आवश्यकताओं का ध्यान रखा, जबकि समाज और रिश्तेदारों की आलोचनाओं का सामना किया। उनकी पत्नी मनसा ने भी परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालते हुए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
नितीश की मेहनत और उनके परिवार के समर्थन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्थान दिलाया। अपने दूसरे टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में, उन्होंने 34 गेंदों में 74 रन बनाए और दो महत्वपूर्ण विकेट लिए, जिससे भारत को बांग्लादेश के खिलाफ जीत मिली।
नितीश कुमार रेड्डी की कहानी एक प्रेरणा है, जो दर्शाती है कि समर्पण, परिवार का समर्थन और कठिन परिश्रम किसी भी बाधा को पार कर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।